हमे अकेले चलना भी मन्जूर,
तेरा जीना भी हमे मन्जूर, और
तेरा मरना भी हमे मन्जूर,
हम मर कर भी जी रहें हैं,
तुम जी कर भी मर रहे हो
ये भी एक घोर राजनीती है!
राजनीती से मुक्ती कैसे पायें,
हमे कौन समझाये, और
हम किसको समझायें,
पहल कहीं तो करना होगा,
जिन्दगी नही तो मरना होगा,
जिन्दगी भी क्या जो डर डर के जियें
रोज-रोज हम मर-मर के जियें!
निकलो, अपनी आवाज निकालो,
हथियार नही, जज्बात निकालो,
हम नेता नहीं, शान्ती दूत हैं,
हम आम जनता हैं, यही हमारा रुप है!
जहां देखो हमे पावोगे,
ये आगाज ही आवाज है!
चल दिया आगे बढने को,
तुम आप, हम आप, हम सब आप हैं,
तो आप अपनी लडाई लडते चलो
धिरज से आगे बढते चलो!
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